Saraswati Avahan 2021: जानें नवरात्रि में इस विशेष दिन की तिथि, महत्व और पूजा विधि

Saraswati Avahan 2021: जानें नवरात्रि में इस विशेष दिन की तिथि, महत्व और पूजा विधि
Saraswati Avahan 2021: जानें नवरात्रि में इस विशेष दिन की तिथि, महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली: Saraswati Avahan 2021: नवरात्रि (Navaratri 2021) के दिनों में देवी के तीन रूपों मा दुर्गा, मां काली और मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। देवी सरस्वती की पूजा (Goddess Saraswati Puja) सप्तमी के दिन की जाती है।

सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) का पहला दिन सरस्वती आह्वान (Saraswati Avahan 2021) के रूप में मनाया जाता है। इस साल पूजा अनुष्ठान 11 अक्टूबर 2021 को है, जबकि सरस्वती विसर्जन 14 अक्टूबर को है।

देवी सरस्वती का स्वरूप

पुराणों के अनुसार, देवी सरस्वती (Goddess Saraswati) को कला, वाणी और विद्या की देवी माना जाता है। हंस या मोर देवी सरस्वती की सवारी हैं और उन्हें शारदा, वीणा वादिनी, ब्राह्मणी श्वेत पद्मासन, सावित्री, भराडी आदि नामों से जाना जाता है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें सफेद कमल का फूल, वीणा, पुस्तक और एक माला धारण किए हुए हैं।

महत्वपूर्ण तिथियां (Saraswati Avahan 2021 Timing)

  • सरस्वती आह्वान 2021: 11 अक्टूबर

  • सरस्वती पूजा 2021: 12 अक्टूबर

  • सरस्वती बलिदान : 13 अक्टूबर

  • सरस्वती विसर्जन: 14 अक्टूबर

सरस्वती आह्वान 2021: पूजा विधि

  • शुभ मुहूर्त में सरस्वती आह्वान करना।

  • देवी सरस्वती का आह्वान करने के लिए मंत्रों का जाप करना।

  • देवी सरस्वती के चरण धोएं।

  • एक संकल्प लें या व्रत करें।

  • मूर्ति को चंदन और कुमकुम आदि से अलंकारम (सजाएं) करें।

  • सफेद फूल अर्पित करें।

  • नैवेद्य अर्पित करें। हो सकें तो सफेद रंग की मिठाइयां तैयार करें।

  • मंत्रों का जाप और भजन करें।

  • आरती करें।

  • पूजा संपन्न होने के बाद प्रसाद वितरित करें।

सरस्वती आह्वान 2021 का महत्व (Importance of Saraswati Avahan 2021)

आह्वान शब्द का अभिप्राय आह्वान यानी शुरुआत से है। इसलिए इस दिन मां सरस्वती के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी सरस्वती, भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं। ब्रह्माजी ने जब ब्रह्मांड की रचना की थी, तब सरस्वती के ज्ञान को निर्माण प्रक्रिया में लागू किया था। मा सरस्वती की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन पूजा-अर्चना करते हैं।

जैन धर्म माता सरस्वती (Goddess Saraswati) को सभी विद्याओं का स्रोत मानता था। बौद्ध धर्म के अनुयायी मानते हैं कि माता सरस्वती, गौतम बुद्ध की पवित्र शिक्षाओं के संरक्षण में समर्थन करती हैं।

सरस्वती वंदना बिना अधूरी है पूजा (Saraswati Vandana in Hindi)

वर दे, वीणावादिनि वर दे !

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव

भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर

बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;

कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर

जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद

नवनवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;

नव नभ के नव विहग-वृंद को

नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

सरस्वती मंत्र (Saraswati Matra in Hindi)

या कुन्देन्दुतुषारहारधवलाया शुभ्रवस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥"

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