गुरु ग्रंथ साहिब- Guru Granth Sahib

गुरु ग्रंथ साहिब- Guru Granth Sahib

हिन्दू धर्म में जिस तरह गीता को पवित्र माना जाता है उसी तरह सिख धर्म में “श्री ग्रंथ साहिब जी” को भी पवित्र माना जाता है। सिख धर्म के दसवें गुरु ने यह घोषणा की थी कि आगे से कोई भी देहधारी सिख गुरु नहीं होगा और सभी गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु मानेंगे। इस तरह आप गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु भी कह सकते हैं।

गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन (History of Guru Granth Sahib)

गुरु अर्जन देव जी द्वारा "आदि ग्रंथ" के रूप में संकलित की गई इस किताब में दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख गुरुओं और विशेषकर गुरु तेग बहादुर जी की बाणी को संकलित किया। इसे गुरुमुखी लिपि में लिखा गया है। इस पवित्र पुस्तक में 1430 पृष्ठ हैं और सभी सिख गुरुओं के शब्द 31 रागों में संग्रहित हैं। गुरु ग्रंथ साहिब की शुरूआत “एक ओंकार” शब्द से होती है। इस पुस्तक में ना केवल सिख गुरुओं की वाणी है बल्कि इसमें विभिन्न हिन्दू संतो और मुस्लिम पीर आदि के वचनों को भी संग्रहित किया गया है। 

सिखों के गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब दरबार साहिब का मुख्य हिस्सा होती है। इस पवित्र किताब को एक दरबार साहिब में एक मंडप या मंच पर आकर्षक रंग के कपड़ों में रखा जाता है।

गुरु ग्रंथ साहिब के उपदेश (Teachings of Guru Granth Sahib)

* गुरु के शब्द नाद की ध्वनि वर्तमान है, गुरु के शब्द वेदों का ज्ञान है, गुरु के शब्द सभी सर्वव्यापी है।
* गुरु शिव हैं, गुरु विष्णु और ब्रह्मा हैं, गुरु पार्वती और लक्ष्मी हैं।
* सदाचार के बिना कोई भक्ति पूजा होती है क्या।
* सच बोलो और सच में जिओ। गुरु का हुक्म मानो।

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