गुरु हरगोबिन्द जयंती - Guru Hargobind Jayanti

गुरु हरगोबिन्द जयंती - Guru Hargobind Jayanti

सिख पंथ के छठे धर्म-गुरु हरगोबिंद साहिब जी का जन्म 21 आषाढ़ (वदी 6) संवत 1652 ( 19 जून, 1595) को अमृतसर के वडाली गाँव में गुरु अर्जन देव के घर हुआ था। गुरु के जन्मोत्सव को ‘गुरु हरगोबिंद जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। अंत: सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है।

गुरु हरगोबिंद सिंह जयंती (Guru Hargobind Singh Jayanti in Hindi)

नानक शाही पंचांग के अनुसार साल 2022 में गुरु हरगोबिंद जयंती 09 जनवरी को मनाई जाएगी।

गुरु हरगोबिंद सिंह का जीवन (Life of Guru Har Gobind Singh Ji in Hindi)

गुरु अर्जन देव जी जहाँगीर के आमंत्रण पर लाहौर चलने से एक दिन पूर्व 29 ज्येष्ठ संवत 1663 (25 मई 1606) को हरगोबिंद सिंह जी को मात्र 11 वर्ष में गुरूपद सौंप दिया। गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म में वीरता की नई मिशाल पेश की। वह अपने साथ सदैव मीरी तथा पीरी नाम कि दो तलवारें धारण करते थे। एक तलवार धर्म के लिए तथा दूसरी तलवार धर्म की रक्षा के लिए।

गुरु हरगोबिंद सिंह का उपदेश (Teachings of Guru Hargobind Singh in Hindi)

अपना अंतिम समय नजदीक देख कर गुरु जी ने संगत को आत्मा-परमात्मा संबंधी उपदेश दिये, जिसमें गुरु जी ने बताया कि शरीर नश्वर है। परंतु जो सर्वव्यापक है तथा अविनाशी सर्व निरंकारी आत्मा गुरु का रूप है, उसको पहचानें। उन्होंने सिख धर्म में एक नई क्रांति को जन्म दिया जिस पर आगे चलकर लड़ाका सिखों की विशाल सेना तैयार हुई।

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