दुनिया के हर धर्म में स्त्री को आदरणीय माना गया है। हिन्दू धर्म में स्त्रियों को भगवान के कई रूपों में देखा गया है। इन्हें पूजनीय और आदरणीय माना जाता है। यहां तक की पुराणों में आदि शक्ति दुर्गा जी को त्रिदेवों से ऊपर बताया गया है।
स्त्री के कई रूप
स्त्री एक बलिदान की मूर्ति होती है। स्त्री एक मां, बहन, बीवी, बेटी के रूप में वह जिंदगी भर दूसरों के लिए अपनी खुशियों का बलिदान करती आई है। हिन्दू धर्म में विभिन्न कथाओं द्वारा नारी के सर्वोच्च स्थान को बार-बार जाहिर किया गया है। सीता, पार्वती, सावित्री, समेत ऐसी कई नारियों की गाथाओं से हिन्दू धर्म का इतिहास भरा है। कभी अपने पिता तो कभी पति तो कभी पुत्र के लिए नारी सदा हर सीमा से गुजरने को तैयार दिखी है।
स्त्री की अस्मिता
एक स्त्री अपने परिवार की खुशियों के लिए अपनी खुशियों का भी बलिदान करने से पीछे नहीं हटती। वह अपनी अस्मिता को भी अपने पति, पिता के लिए कुर्बान करने से नहीं हटती। कहते हैं कि जिस घर में एक स्त्री को प्रताड़ित किया जाए, जिस घर में एक स्त्री के आंसू बहे उस घर का कभी कल्याण नहीं होता। एक स्त्री के श्राप से बचना नामुमकिन होता है और यदि कोई स्त्री चाहे तो वह अपने पति के प्राणों के लिए यमराज से भी लड़ सकती है।