हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है- Hindutva Ekatv Ka Darshan Hai

हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है- Hindutva Ekatv Ka Darshan Hai

हिंदू धर्म केवल एक धर्म नहीं बल्कि जीने का तरीका है। हिन्दुत्व के कई सिद्धांत पूर्णत: व्यवहारिक यानि प्रैक्टिकल जीवन से जुड़े हैं। हिन्दुत्व के प्रमुख सिद्धांतों में से एक है एकत्व का दर्शन। हिन्दू धर्म के हर क्षेत्र में आपको एकता की झलक मिलेगी। चाहे त्रिदेवों में मिले या प्रकृति के पांच तत्त्वों में। 


 
एकता की मिसाल - त्रिदेव  
हिन्दू धर्म में त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिदेव कहा जाता है। इन तीनों देव की परिकल्पना एक साथ ही की जाती है। ब्रह्मा को निर्माणकर्ता तो विष्णु जी को जगतपालक और देवाधिदेव देव भगवान शिव को संहारक माना जाता है। पृथ्वी के संचालन में तीनों देवताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। 
 
लेकिन वेदों के अनुसार यह तीनों शक्तियां दरअसल एक ही ब्रह्म स्वरूप ईश्वर का रूप हैं। ईश्वर ही अपने तीन रूपों में त्रिदेव के नाम से हमारे बीच व्याप्त हैं। ईश्वर ही दुर्गा रूप में नारी का कारक माने जाते हैं। 


 
एकत्व का रूप यह प्रकृति  
अग्नि, धरती, जल, आकाश और भूमि से मिलकर बनी यह प्रकृति भी एकता की अद्भूत मिशाल है। पांच विभिन्न वस्तुओं से बनी प्रकृति के पांचों तत्त्व अविभाजित हैं। अगर इनमें से एक भी तत्व कम या अधिक हो तो संतुलन अवश्य खराब होता है। पंच तत्व अकेले केवल तत्व होते हैं लेकिन जब साथ मिलते हैं तो प्रकृति यानि जीवन का निर्माण करते हैं। 


वेदों में है एकता पर बल 
हिन्दू धर्म में वेदों की वाणी ने हमेशा मनुष्य को एकता का महत्व समझाया है। कई कहानियों और प्रसंगों से सबको मिलजुल कर रहने की शिक्षा दी गई है। एकता के संदर्भ में एक श्लोक उल्लेखनीय है: 
सर्वे   भवन्तु   सुखिन:   सर्वे   सन्तु  निरामया: ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ।
 
भावार्थ : उपरोक्त श्लोक का अर्थ है कि सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ दर्शन हों और कोई दुख से ग्रसित न हो ।
 
 

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