फतेहपुरी मस्जिद चांदनी चौक की पुरानी गली के पश्चिमी छोर पर स्थित है। इसका निर्माण मुगल बादशाह की बेगम फतेहपुरी ने 1650 में करवाया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम फतेहपुरी मस्जिद पड़ा। धार्मिक मान्यता है कि यह मस्जिद कई धार्मिक वाद-विवाद की गवाह रही है।
विशेषताएँ - Qualities of Fatehpuri Masjid
फतेहपुरी मस्जिद लाल पत्थरों से बनी है। मस्जिद के दोनों तरफ लाल पत्थर से बने स्तंभों की कतारें हैं। इस मस्जिद में सफेद संगमरमर से बना एक पानी का कुंड भी है। फतेहपुरी मस्जिद दिल्ली की अकेली एकल गुंबददार मस्जिद है। बाहर से दिखने में यह बहुत छोटी-सी लगती है लेकिन अंदर जाने पर इसकी विशालता का पता चलता है। इसके अन्दर सात विशाल मेहराब हैं। मस्जिद में दोनों एक मंजिला और दो मंजिला संरचनाओं मौजूद हैं।
इतिहास - History of Fatehpuri Masjid
इस मस्जिद को लेकर कई दंतकथाएं हैं। साक्ष्यों के अनुसार अंग्रेज़ों ने फतेहपुरी मस्जिद को 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद नीलाम कर दिया था। इसे राय लाला चुन्ना मल ने मात्र 19,000/ रूपये में खरीद लिया था। जिनके वंशज आज भी चांदनी चौक में चुन्नामल हवेली में रहते हैं। लाला के वंशजों को चार गांव के बदले इस मस्जिद को पुन: सरकार ने अधिकृत कर मुसलमानों को दे दिया।