भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - Bhimashankar Jyotirling

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - Bhimashankar Jyotirling

शिव पुराण के अनुसार भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - Bhimashankar Jyotirling in Pune

असम प्रान्त के कामरूप जनपद में ब्रह्मरूप पहाड़ी पर स्थित है। इस शिवलिंग को लेकर कई मतभेद हैं। वर्तमान में यह महाराष्ट्र में स्थित है। कहते हैं जो भी मनुष्य प्रतिदिन प्रातः काल उठकर इस ज्योतिर्लिंग से सम्बन्धित श्लोकों का पाठ करता हुआ शिवलिंग का ध्यान करता है, उसके सात जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं।

ज्योतिर्लिंग की कथा - Story of Bhimashankar Jyotirling in Hindi

शिव पुराण के अनुसार पूर्व काल में रावण के भाई महाबली कुम्भकर्ण का पुत्र भीम नामक एक महा बलशाली और पराक्रमी राक्षस था। वह अत्याचारी धर्म का नाश करता था और लोगों को सताता था। अपनी माता से पिता के बारे में सुनकर भीम ने देवताओं को सबक सिखाने का सोचा। तब भीम ने अपनी शक्ति को और अधिक बढ़ाने के लिए घोर तपस्या किया और ब्रह्माजी से अतुलनीय बल प्राप्त किया। उसके बाद अपने अतुलनीय बल का घमंड लेकर भीम देवताओं से युद्ध करने लगा। कई देवताओं को हराने के बाद उसने सम्पूर्ण पृथ्वी को जीतने का अभियान चलाया।

ज्योतिर्लिंगों की कथा - Story of 12 Jyotirling in Hindi

इसी दौरान उसने कामरूप देश के राजा और भगवान शिव के परम भक्त सुदक्षिण पर आक्रमण किया। सुदक्षिण को युद्ध में हराकर भीम ने कारागार में डाल दिया। कारागार में भी सुदक्षिण नित्य भगवान शिव की पूजा करता था। उससे प्रभावित होकर कारागार में बंद अन्य कैदी भी भोलेनाथ के भक्त हो गए और उनकी पूजा करने लगे। किसी ने राक्षस को बताया कि सुदक्षिण पार्थिव पूजन करके तुम्हारे लिए अनुष्ठान कर रहा है। उसी समय राक्षस ने सुदक्षिण को मारने का निर्णय लिया। जेल पहुंचकर जैसे ही राक्षस ने राजा पर तलवार चलाई वहां भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव ने युद्ध में राक्षस को मार डाला। उसी समय ऋषि मुनियों ने भगवान शिव की स्तुति की और उनसे कहा कि भूतभावन शिव! यह क्षेत्र बहुत ही निन्दित माना जाता है इसलिए लोककल्याण की भावना से आप सदा के लिए यहीं निवास करें। भोलेनाथ ने उनके आग्रह को स्वीकार किया और ज्योतिर्लिंग के रूप में वही विराजमान हो गए।

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