उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि- Utpanna Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि- Utpanna Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi
उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि- Utpanna Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi

मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को "उत्पन्ना एकादशी व्रत" किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी के दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था, जिन्होंने मुर नामक दैत्य का वध कर भगवान विष्णु की रक्षा की थी।

उत्पन्ना एकादशी व्रत (Utpanna Ekadashi Vrat)

साल 2022 में उत्पन्ना एकादशी व्रत 19-20 नवंबर को रखा जाएगा।

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि (Utpanna Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi)

पद्म पुराण के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत में भगवान विष्णु समेत देवी एकादशी की पूजा का भी विधान है। इसके अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दशमी को भोजन के बाद अच्छी तरह से दातौन करना चाहिए ताकि अन्न का अंश मुँह में न रहे। उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।

इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन, तथा रात को दीपदान करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी की सारी रात भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए। श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा माँगनी चाहिए। अगली सुबह पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान दे देकर विदा करना चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्त्व (Importance of Utpanna Ekadashi Vrat in Hindi)

मान्यता है कि जो मनुष्य उत्पन्ना एकादशी का व्रत पूरे विधि- विधान से करता है, उसे सभी तीर्थों का फल व भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है। व्रत के दिन दान करने से लाख गुना वृद्धि के फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति निर्जल संकल्प लेकर उत्पन्ना एकादशी व्रत रखता है, उसे मोक्ष व भगवान विष्णु की प्राप्ति होती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।

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