सावन सोमवार व्रत विधि- Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi

सावन सोमवार व्रत विधि- Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi
सावन सोमवार व्रत विधि- Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi

भगवान शिव की उपासना के लिए सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि और सावन आदि का समय शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सावन (हिन्दू माह श्रावण) के महीने में भगवान शिव व सोमवार व्रत का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। सावन के महीने में शिव भक्तों को प्रत्येक सोमवार (Sawan Somvar Vrat) को केवल रात में ही भोजन करना चाहिए और शिव जी की उपासना करनी चाहिए। श्रावण सोमवार व्रत की विधि अन्य सोमवार व्रत की तरह ही होती है।

सावन सोमवार व्रत विधि (Sawan Somvar Vrat Vidhi in Hindi)

स्कंदपुराण के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार के दिन एक समय भोजन करने का प्रण लेना चाहिए। भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती जी की पुष्प, धूप, दीप और जल से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को तरह-तरह के नैवेद्य अर्पित करने चाहिए जैसे दूध, जल, कंद मूल आदि। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

रात्रि के समय जमीन पर सोना चाहिए। इस तरह से सावन के प्रथम सोमवार से शुरु करके कुल नौ या सोलह सोमवार इस व्रत का पालन करना चाहिए। नौवें या सोलहवें सोमवार को व्रत का उद्यापन करना चाहिए। अगर नौ या सोलह सोमवार व्रत करना संभव ना हो तो केवल सावन के चार सोमवार भी व्रत किए जा सकते हैं।

विशेष: अपने भोले स्वभाव के कारण भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है। इसी कारण भगवान शिवजी से जुड़े व्रतों में किसी कड़े नियम का वर्णन पुराणों में नहीं है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार सावन सोमवार व्रत में तीन पहर तक उपवास रखने के बाद एक समय भोजन करना चाहिए। सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं अन्य शिवजी से जुड़े व्रतों में भी सूर्योदय के बाद तीन पहर (9 घंटे) तक उपवास रखना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं जैसे भांग- धतुरा आदि उनकी पूजा में अवश्य रखने का प्रयत्न करना चाहिए।

सावन सोमवार व्रत (Sawan Somvar Vrat)

साल 2022 में सावन सोमवार के व्रत 18 जुलाई से शुरु होंगे और 12 अगस्त को सावन का महीना समाप्त हो जाएगा। ​

सावन के सोमवार की पूजा विधिः

सावन सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। पूरे घर की सफाई कर स्नान करें। गंगा जल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सावन सोमवार के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं। सोमवार, सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। इस व्रत को सावन माह में आरंभ करना शुभ माना जाता है। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें-

'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'

इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें-

'ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌।
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥

ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवायै' नमः से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें।

पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। आरती कर प्रसाद वितरण करें। सबसे आखिर में भोजन व फलाहार करें। सावन सोमवार में भगवान शिव पर बिलपत्र जरूर चढ़ाएं। भगवान पर बिलपत्र चढ़ाने के मंत्र-

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनॆत्रं च त्रियायुधं
त्रिजन्म पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कॊमलैः शुभैः
तवपूजां करिष्यामि ऎकबिल्वं शिवार्पणं

कॊटि कन्या महादानं तिलपर्वत कॊटयः
काञ्चनं क्षीलदानॆन ऎकबिल्वं शिवार्पणं

काशीक्षॆत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं
प्रयागॆ माधवं दृष्ट्वा ऎकबिल्वं शिवार्पणं

इन्दुवारॆ व्रतं स्थित्वा निराहारॊ महॆश्वराः
नक्तं हौष्यामि दॆवॆश ऎकबिल्वं शिवार्पणं

रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा
तटाकानिच सन्धानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं
कृतं नाम सहस्रॆण ऎकबिल्वं शिवार्पणं

उमया सहदॆवॆश नन्दि वाहनमॆव च
भस्मलॆपन सर्वाङ्गम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

सालग्रामॆषु विप्राणां तटाकं दशकूपयॊः
यज्नकॊटि सहस्रस्च ऎकबिल्वं शिवार्पणं

दन्ति कॊटि सहस्रॆषु अश्वमॆध शतक्रतौ
कॊटिकन्या महादानम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं
अघॊर पापसंहारम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

सहस्रवॆद पाटॆषु ब्रह्मस्तापन मुच्यतॆ
अनॆकव्रत कॊटीनाम् ऎकबिल्वं शिवार्पणं

अन्नदान सहस्रॆषु सहस्रॊप नयनं तधा
अनॆक जन्मपापानि ऎकबिल्वं शिवार्पणं

बिल्वस्तॊत्रमिदं पुण्यं यः पठॆश्शिव सन्निधौ
शिवलॊकमवाप्नॊति ऎकबिल्वं शिवार्पणं

व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान 

व्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए हर रोज 6 से 8 गिलास पानी जरूर पिएं। डायट में ऐसे फल शामिल करें, जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो जैसे- अंगूर, लीची, संतरा, मौसमी आदि। आपको बता दें कि पेट खाली रहने से एसिडिटी बढ़ सकती है, लिहाजा थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ न कुछ फलाहार जरूर करते रहें। व्रत के दौरान ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं, इससे जरूरी एनर्जी मिलेगी और कमजोरी भी महसूस नहीं होगी।

व्रत के दौरान क्या खाएं

ब्रेकफास्ट में आप स्किम्ड मिल्क के साथ फल खा सकते हैं या फिर दूध के साथ भीगे बादाम भी खा सकते हैं।

लंच में सेंधा नमक डले साबूदाने से बना कोई व्यंजन दही के साथ लिया जा सकता है या फिर कुट्टू के आटे से बनी पूरी और आलू की सब्जी के साथ दही लिया जा सकता है।

अगर आप नमक का सेवन नहीं करते हैं तो दही खा सकते हैं, दूध पी सकते हैं, दूध से बनी किसी मीठी चीज का सेवन भी किया जा सकता है।

शाम के समय सूखा मेवा खाया जा सकता है। वहीं सादी चाय के साथ व्रत के चिप्स, रोस्टेड मखाना भी खाया जा सकता है।

कच्चे केले की टिक्की

कच्चे केले की टिक्की एक अवधी डिश है जिसे व्रत के दौरान खा सकते हैं। कच्चे केले में लाल मिर्च, धनिया पाउडर और सेंधा नमक डालकर इस स्वादिष्ट स्नैक को तैयार किया जाता है। इस स्वादिष्ट टिक्की को आप मूंगफली की चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं। कच्चे केले की टिक्की को आप शाम की चाय या फिर डिनर में स्नैक के तौर पर खा सकते हैं।

कुट्टू के आटे की पूरी

व्रत के दौरान कुट्टू के आटे का सेवन किया जाता है। व्रत के दौरान कुट्टू के आटे से कई तरह के पकवान बनाएं जा सकते हैं लेकिन आज हम आपको कुट्टू के आटे की पूरी की रेसिपी बताने जा रहे हैं। कुट्टू के आटे में आलू और सेंधा नमक मिलाकर पूरी बनाकर इसे डीप फ्राई किया जाता है। कुट्टू की पूरी खाने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है इसलिए इसे दही के साथ खाया जाता है।

दही-आलू

उबले हुए आलूओं को दही की मसालेदार ग्रेवी के साथ खाया जाता है। दही वाले आलू खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। व्रत के दौरान इन्हें बनाते वक्त इसमें सेंधा नमक डाला जाता है और कुट्टू के आटे की पूरी के साथ इस सब्जी को सर्व किया जाता है।

साबुदाना खिचड़ी

साबुदाना खिचड़ी व्रत के समय सबसे ज्यादा लोग खाते हैं। इसमें स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है जो आपका पेट लंबे समय तक भरा रखती है। इसे बनाने के लिए साबूदाना, मूंगफली, कढ़ीपत्ता, सेंधा नमक, साबुत लाल मिर्च और हरी मिर्च की जरूरत होती है।

सिंघाड़े के आटे का हलवा

इस हलवे को व्रत को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसे आप कभी भी बनाकर खा सकते हैं। इस हलवे को बनाने के लिए आपको सिंघाड़े के आटे के अलावा घी, चीनी, इलाइची पाउडर और बादाम की जरूरत होती है।

व्रत वाली खीर 

आप व्रत में व्रत वाले चावल की खीर बनाकर खा सकते हैं। इस खीर को सामवत के चावल, दूध और चीनी से तैयार किया जाता है।

बनाना-वॉलनट लस्सी 

इस लस्सी को बनाने के लिए दही, केले और अखरोट की जरूरत होती है। तिल इस लस्सी के स्वाद को और अधिक बढ़ा देता है। इसके अलावा इस लस्सी में चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 

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