रथ सप्तमी व्रत विधि- Ratha Saptami Vrat Vidhi

रथ सप्तमी व्रत विधि- Ratha Saptami Vrat Vidhi

भगवान सूर्य देव को समर्पित "रथ सप्तमी" का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं।

रथ सप्तमी (Ratha Saptami 2020)

साल 2022 में रथ सप्तमी का व्रत सोमवार 07 फरवरी, 2022 को रखा जाएगा और इस दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:22 से लेकर 7:06 तक का है।

रथा सप्तमी के अनुष्ठान

रथा सप्तमी के दिन, सूर्योदय से पहले भक्त पवित्र स्नान करने के लिए जाते हैं। रथा सप्तमी स्नान इस दिन का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है और इसे केवल 'अरुणोदय' के समय ही किया जाना चाहिए। यह माना जाता है कि इस समय के दौरान पवित्र स्नान करने से व्यक्ति को सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है और उसे एक अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इस कारण रथा सप्तमी को 'आरोग्य सप्तमी' के नाम से भी जाना जाता है। तमिलनाडु में भक्त इस पवित्र स्नान को एरुक्को के पत्तों के माध्यम से करते हैं।

स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय में भक्त सूर्य भगवान को 'अर्घ्यदान' देते हैं। 'अर्घ्यदान' का अनुष्ठान सूर्य भगवान् को कलश से धीरे-धीरे जल अर्पण करके किया जाता है। इस अनुष्ठान के दौरान भक्तों को नमस्कार मुद्रा में होना चाहिए और सूर्य भगवान की दिशा के तरफ मुख होना चाहिए। बहुत से लोग 12 बार इस अनुष्ठान को सूर्य भगवान के बारह विभिन्न नामों का जप करते हुए करते हैं।

इसके बाद भक्त घी के दीपक और लाल फूलों कपूर और धुप के साथ सूर्य भगवान की पूजा करते है। यह माना जाता है कि इन सभी अनुष्ठानों को करने से सूर्य भगवान अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु और सफलता के वरदान देते है।

रथा सप्तमी के दिन कई घरों में महिलाएं सूर्य देवता के स्वागत के लिया उनका और उनके रथ के साथ चित्र बनाती है। वे अपने घरों के सामने सुंदर रंगोली बनाती हैं। आंगन में मिट्टी के बर्तनों में दूध डाल दिया जाता है और सूर्य की गर्मी से उसे उबाला जाता है और बाद में इस दूध का इस्तेमाल सूर्य भगवान को भोग में अर्पण किये जाने वाले चावलों में किया जाता है।

रथ सप्तमी व्रत विधि (Rath Saptami Vrat Vidhi Hindi)

भविष्यपुराण अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को एक समय भोजन करना चाहिए और षष्ठी तिथि को उपवास कर भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। सप्तमी में प्रात: काल विधिपूर्वक पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। साथ ही इस दिन अगर संभव हो तो भगवान सूर्य की रथयात्रा करानी चाहिए।(नोट: मुहूर्त दिल्ली समयानुसार है।)

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