मासिक कृष्णाष्टमी व्रत विधि- Masik krishanashtmi Vrat Vidhi in Hindi

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत विधि- Masik krishanashtmi Vrat Vidhi in Hindi
मासिक कृष्णाष्टमी व्रत विधि- Masik krishanashtmi Vrat Vidhi in Hindi

प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि को कृष्णाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। मासिक कृष्णाष्टमी को शिवोपासना का एक अहम अंग माना जाता है। शिवभक्तों के लिए यह व्रत बेहद महत्व रखता है।

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत विधि (Masik krishanashtmi vrat vidhi in Hindi)

भविष्यपुराण के अनुसार हर माह में पड़ने वाली कृष्णाष्टमी के व्रत में व्यक्ति को सुबह स्नान कर गंध, फूल, गुमगुल, धूप, दीप आदि सामग्री से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। विधिपूर्वक शिवलिंग की पूजा के बाद काले तिल से हवन करना चाहिए। शाम के समय गौमूत्र पीकर धरती पर ही सोना चाहिए।

बारह माह की कृष्णाष्टमी व्रत करने के बाद अंत में ब्राह्मणों को घी से बना हुआ मीठा भोजन करवाना चाहिए। इसके बाद क्षमतानुसार ब्राह्मण को वस्त्र, धन, अनाज और फल का दान देना चाहिए। इसके अलावा शिव जी का नाम लेकर ब्राह्मण को गौ दान करना भी बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।

मासिक कृष्णाष्टमी व्रत का फल(Benefits of Masik krishanashtmi vrat in Hindi)

इस प्रकार बिना बाधा के एक वर्ष तक निरंतर मासिक कृष्णाष्टमी व्रत करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है तथा उसे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। भविष्यपुराण के अनुसार इस व्रत को करने वाला व्यक्ति उत्तम सुख भोगकर अंत में शिवलोक जाता है।

मासिक कृष्णाष्टमी से जुड़ी कुछ विशेष बातें:(Important fact of Masik krishanashtmi in Hindi)

मार्गशीर्ष मास कृष्णाष्टमी : इस महीने में व्यक्ति को नदी में स्नान कर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए तथा गौ मूत्र का पान करना चाहिए।

पौष मास कृष्णाष्टमी : पौषमाह की कृष्णाष्टमी को शम्भु नाम से शिव जी की पूजा कर उन्हें शुद्ध घी चढ़ना चाहिए।

माघ मास कृष्णाष्टमी : इस महीने शिव जी की महेश्वर नाम से पूजा करनी चाहिए तथा गाय का दूध चढ़ना चाहिए।

फाल्गुन मास कृष्णाष्टमी : इस माह में महादेव नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा तिल से बनी वस्तुएं खानी चाहिए।

चैत्र मास कृष्णाष्टमी : चैत्र माह की कृष्णाष्टमी को स्थाणु नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा शुद्ध- शाकाहारी भोजन करना चाहिए।

बैसाख मास कृष्णाष्टमी : इस माह में शिव नाम से ही शिव जी की पूजा कर कुशोदक- पान करना चाहिए।

ज्येष्ठ मास कृष्णाष्टमी : ज्येष्ठ माह में पशुपतिनाथ नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए गोमूत्र का पान करना चाहिए।

आषाढ़ मास कृष्णाष्टमी : इस माह की कृष्णाष्टमी को उग्र नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा गौ दान करना चाहिए।

श्रवण मास कृष्णाष्टमी :  इस मास की कृष्णाष्टमी में शर्व नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा गोमूत्र का पान करना चाहिए।

भाद्रपद मास कृष्णाष्टमी : भद्रपद की कृष्णाष्टमी को त्रयम्बक नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा बेल पत्रों का भक्षण करना चाहिए।

आश्र्विन मास कृष्णाष्टमी : इस माह की कृष्णाष्टमी को भव नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा तण्डुलोदक का पान करना चाहिए।

कार्तिक मास कृष्णाष्टमी : इस माह में शिव जी की रुद्र नाम से शिव जी की पूजा करनी चाहिए तथा रात में दही खाना चाहिए।

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