कजरी तीज का त्यौहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इसे 'हरितालिका तीज' के नाम से जाना जाता है। कजरी तीज में विशेष प्रकार का खेल, गान और शिव-पार्वती जी की पूजा की व्यवस्था की जाती है। कजरी तीज (Kajaree Teej) सुहागिन महिलाओं का विशेष त्यौहार है।
कजरी तीज - Kajaree Teej
कजरी तीज हिन्दू धर्म की विवाहित महिलाओं का विशेष त्यौहार है। यह त्यौहार वर्ष 2021 में 14 अगस्त को मनाया जाएगा।
क्या करते हैं कजरी तीज में - What to do Kajree Teej in Hindi
कजरी तीज के कुछ दिन पहले ही महिलाएं नदी में स्नान करने जाती हैं तथा वहां से मिट्टी लाती है। इस मिट्टी का पिंड बना उसमें जौ बोया जाता है जिसमें से कुछ समय बाद पौधे निकलते है। महिलाएं अपने भाई और बड़ों के कान पर इन पौधों को रखकर आशीर्वाद लेती हैं।
कजरी तीज के एक दिन पहले रात भर जाग के लोक गीत गाती है तथा कजरी खेलती हैं। अगले दिन उपवास के बाद जौ, गेहूँ, चावल, सत्तू ,घी, गुड़ और मेवा से बने विशेष पकवान चांद को चढ़ाने के बाद स्वयं खाती हैं। इस दिन मिट्टी से बने शिव- पार्वती की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
कजरी तीज का महत्व - Impotence of Kajree Teej in Hindi
शिव महापुराण के अनुसार कजरी तीज के दिन विवाहित महिलाएं अखण्ड सुहाग के लिए तथा अविवाहित महिलाएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं तथा बड़ों से आशीर्वाद ग्रहण करती हैं। शास्त्रों में लिखा है कि विधवा भी इस व्रत को रख सकती हैं।
कजरी तीज व्रत का फल - Benefits of Kajree Teej in Hindi
मान्यता है कि कजरी तीज का व्रत रखने वाली स्त्रियां जीवन के सभी सुखों को भोग कर शिव लोक जाती हैं। इसके साथ ही उन्हें सुख- शांति,सौभाग्य, समृद्धि, धर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है।