अपरा एकादशी व्रत विधि- Apara Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi

अपरा एकादशी व्रत विधि- Apara Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi
अपरा एकादशी व्रत विधि- Apara Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi

अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु व उनके पांचवें अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi Vrat) के प्रभाव से अपार खुशियों की प्राप्ति तथा पापों का नाश होता है।

अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi Vrat)

साल 2022 में अपरा एकादशी व्रत 26 मई को रखा जाएगा।

अपरा एकादशी व्रत विधि (Apara Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi)

अपरा एकादशी (Apara Ekadashi Vrat) के दिन दिन पूजन का विधान है, जिसके लिए मनुष्य को तन और मन से स्वच्छ होना चाहिए। इस पुण्य व्रत की शुरूआत दशमी के दिन से खान- पान, आचार- विचार द्वारा करनी चाहिए। एकादशी के दिन साधक को नित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है। पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं।
द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।

अपरा एकादशी व्रत का महत्त्व (Importance of Apara Ekadashi Vrat in Hindi)

धर्म शास्त्रों के अनुसार अपरा एकादशी व्रत करने से गर्भपात, ब्रह्महत्या, राक्षस योनि, झूठ, बुराई व अन्य पापों से मुक्ति मिलती है। इस पुण्य व्रत के प्रभाव, तीर्थ यात्रा, पिंड दान, सुवर्ण दान आदि से बढ़कर है। जो व्यक्ति पूरे विधि- विधान से अपरा एकादशी व्रत करता है, उसे सौभाग्य की प्राप्ति, पापों से मुक्ति तथा मृत्यु के बाद भगवान विष्णु का धाम प्राप्त होता है।

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