Mahanavami 2021: आज है महानवमी व्रत, जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व
Mahanavami 2021: आज है महानवमी व्रत, जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व

Mahanavami 2022: आज है महानवमी व्रत, जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व

नई दिल्ली: Durga Navami or Mahanavami 2022: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की नवमी/महानवमी तिथि आज यानी 4 अक्टूबर दिन मंगलवार को है।

हिन्दू पंचांग और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महानवमी (Mahanavami 2022) कहा जाता है। महानवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री (Goddess Siddhidatri) स्वरुप की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री के पूजन से भय, रोग और शोक का समापन होता और सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

महानवमी (Durga Navami or Mahanavami 2022) के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) और नवरात्रि हवन का भी विधान है। आज हम आपको बताते हैं मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग एवं महत्व के बारे में...

नवरात्रि 2022 महानवमी मुहूर्त (Mahanavami 2022 Muhurt)

महानवमी या दुर्गा नवमी (Durga Navami or Mahanavami 2021) 3 अक्टूबर शाम 04:37 बजे से 14 अक्टूबर दोपहर 02:20 बजे तक है। इसलिए इस साल महानवमी व्रत 4 अक्टूबर को किया जाएगा।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि (Mahanavami 2022 Puja Vidhi)

  • स्नान आदि कर महानवमी व्रत पूजा का संकल्प लें।

  • अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि अर्पित करें।

  • नीचे दिए गए मंत्रों से उनकी पूजा करें।

  • अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें।

  • खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, पूरणपोठी, केला, नारियल और मिष्ठान का भोग लगाएं।

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

मां सिद्धिदात्री प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी

पूजा मंत्र

अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

महानवमी 2021: हवन

महानवमी (Durga Navami or Mahanavami 2021) के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) और हवन की परंपरा है, तो मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा करने के बाद हवन विधि विधान से करें।

कन्या पूजा 2021 (Kanya Pujan 2021)

पौराणिक मान्यतानुसार, कन्या पूजन (Kanya Pujan 2021) के बिना नवरात्रि (Navratri 2021) का सम्पूर्ण फल नहीं मिलता। कन्या पूजा में 2-10 साल तक की लड़कियों के पूजन का विधान है। प्रत्येक उम्र की कन्या को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है...

  • दो साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है, इनके पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है।

  • तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति माना जाता है, जिनके पूजन से धन-धान्य की वृद्धि होती है।

  • चार साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। इनके पूजन से सुख-समृद्धि आती है।

  • पांच साल की बच्ची को रोहिणी माना जाता है, जो रोगों का नाश करती है।

  • छह साल की लड़की को कालिका का रूप माना जाता है, जिनसे ज्ञान और विजय का वरदान प्राप्त होता है।

  • सात साल की बच्ची को चंडिका का रूप कहा जाता है। इनके पूजन से धन लाभ होता है।

  • आठ साल की बच्ची को शाम्भवी माना जाता है। इनके पूजन से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।

  • नौ साल की कन्या को दुर्गा का रूप माना जाता है। इनकी आशीर्वाद से शत्रुओं का नाश होता है।

  • दस साल की कन्या सुभद्रा कहा जाता है। इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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