Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व

Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व
Durga Ashtami 2021: आज है महाष्टमी, जानें महागौरी की पूजा विधि, मुहूर्त एवं महत्व

नई दिल्ली: Durga Ashtami 2021: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) में महाष्टमी व्रत (Maha Ashtami 2021) या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप का पूजन, हवन और व्रत का पारण किया जाता है।

महाष्टमी (Maha Ashtami 2021) या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और मां म​हागौरी (Goddess Mahagauri) की आराधना करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भूलवश हुए पापों का नाश भी होता है।

दुर्गा अष्टमी 2021 या महाष्टमी 2021 तिथि

हिन्दू कैलेंडर और पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को ही महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami 2021) मनाई जाती है। इस साल आश्विन शुक्ल अष्टमी (Maha Ashtami 2021) 12 अक्टूबर दिन मंगलवार की रात 09:47 बजे से 13 अक्टूबर दिन बुधवार रात 08:07 बजे तक है। इसलिए दुर्गा अष्टमी का व्रत (Durga Ashtami Vrat) 13 अक्टूबर दिन बुधवार को रखा जाएगा।

दुर्गा अष्टमी व्रत एवं पूजा विधि (Durga Ashtami 2021 Vrat Puja Vidhi)

  • अष्टमी के दिन स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  • हाथ में जल और अक्षत् लेकर अष्टमी व्रत तथा मां म​हागौरी पूजन का संकल्प लें।

  • कलश स्थापित किए हुए स्थान पर महागौरी या दुर्गा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर पूजन करें।

  • पूजन में सफेद और पीले फूल अर्पित करें।

  • नारियल, हलवा-पूरी और चने का भोग लगाएं।

  • पूजा के दौरान महागौरी बीज मंत्र का जाप करें और अंत में आरती करें।

बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

अन्य मंत्र:

माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

या

ओम देवी महागौर्यै नमः।

दुर्गा अष्टमी का हवन

दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) के दिन नौ दुर्गा के लिए हवन किया जाता है। आरती के बाद हवन सामग्री अपने पास रखें। कर्पूर से आम की सूखी लकड़ियों से अग्नि प्रज्वलित करके अग्निदेव का पूजन करें। इसके बाद नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें। गणेशजी की आहुति के बाद सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें। हवन में पुष्प, सुपारी, पान, कमल गट्टा, लौंग, छोटी इलायची और शहद की आहुति दें। इसके बाद पांच बार घी की आहुति दें।

कन्या पूजा 2021 (Kanya Pujan 2021)

पौराणिक मान्यतानुसार, कन्या पूजन (Kanya Pujan 2021) के बिना नवरात्रि (Navratri 2021) का सम्पूर्ण फल नहीं मिलता। कन्या पूजा में 2-10 साल तक की लड़कियों के पूजन का विधान है। प्रत्येक उम्र की कन्या को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है...

  • दो साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है, इनके पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है।

  • तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति माना जाता है, जिनके पूजन से धन-धान्य की वृद्धि होती है।

  • चार साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। इनके पूजन से सुख-समृद्धि आती है।

  • पांच साल की बच्ची को रोहिणी माना जाता है, जो रोगों का नाश करती है।

  • छह साल की लड़की को कालिका का रूप माना जाता है, जिनसे ज्ञान और विजय का वरदान प्राप्त होता है।

  • सात साल की बच्ची को चंडिका का रूप कहा जाता है। इनके पूजन से धन लाभ होता है।

  • आठ साल की बच्ची को शाम्भवी माना जाता है। इनके पूजन से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।

  • नौ साल की कन्या को दुर्गा का रूप माना जाता है। इनकी आशीर्वाद से शत्रुओं का नाश होता है।

  • दस साल की कन्या सुभद्रा कहा जाता है। इनकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

अष्टमी को कन्या पूजन के बाद दान, दक्षिणा और भोजन कराएं। उनका आशीष लें।

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