सामान्य गृहस्थ जीवन - Normal Family Life

सामान्य गृहस्थ जीवन - Normal Family Life

सिख धर्म के प्रमुख तत्वों में से एक है सामान्य गृहस्थ जीवन को बढ़ावा देना। चूंकि सिख समाज अंधविश्वासों और संत आदि से दूर रहता है इसलिए इस धर्म में संन्यासी जीवन को प्रधानता नहीं दी जाती है।

कर्म के साथ मोक्ष की प्राप्ति 

सिख धर्म का मानना है कि केवल अविवाहित जीवन और दुनिया से संन्यास लेने से मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। भक्त को दुनिया में अपना मस्तिष्क शुद्ध रखकर जीना चाहिए। उसे एक सैनिक, विद्वान और संत भी होना चाहिए। गृहस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए ही सिख गुरुओं ने भी शादी की और परिवार बनाया।

गुरू रामदास श्री राग नामक पुस्तक में कहते हैं कि  आप अपने माता पिता के घर में प्रभु पर ध्यान चिंतन कीजिए लेकिन आपको असली खुशी अपने पति के घर जाकर ही प्राप्त होगी। गृहस्थ जीवन धन्य है।

गृहस्थ जीवन के बारें सिख धर्म में यह भी कहा गया है कि, " घर-बार के त्याग के लिए हमारा मस्तिष्क हमें जंगल ले जाता है लेकिन वहां इसे एक पल के लिए भी चैन नहीं मिलता पर जब यह अपने प्रभु के शरण में आ जाता है तब इसका भटकना रुक जाता है और यह अपनी सही जगह लौट जाता है। एक व्यक्ति अपने रिश्तेदारों का त्याग कर संन्यासी बन जाता है लेकिन उसके मन की लालसा समाप्त नहीं होती। हमारी इच्छाएं बिना गुरू के शबद के खत्म नहीं होतीं, केवल शबद ही मन को शांत कर सकता है। इसलिए गृहस्थ रहकर ही प्रभु का स्मरण करना श्रेष्ठ है।" 

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