हर धर्म में कुछ वर्जित कार्यों का वर्णन किया गया है, इन कामों के कारण मनुष्य अपनी मंजिल तक पहुंचने में असमर्थ हो जाता है। सिख में ऐसे वर्जित कार्यों को पंज दोष कहते हैं। सिख धर्म में पांच "पंज दोष" बताए गए हैं जो कि मानव व्यक्तित्व की पांच बड़ी कमज़ोरियां हैं। इन्हें चोर भी कहा जाता है क्योंकि यह मनुष्य से उसके सोचने-समझने की शक्ति चुरा लेते हैं।
पंज दोष (Panj Dosh in Hindi)
* काम: काम हमारे मन को भटकाता है। ज्ञानी मनुष्य भी कई बार इसके फेर में अपनी मंजिल से भटक जाता है। * क्रोध: क्रोध हमारे सोचने-समझने की शक्ति पर प्रभाव डालता है। यह कई बार हमें गलत फैसले लेने पर भी मजबूर करता है। * लोभ: लोभ या लालच हमें मानवता की राह से भी भटका सकती है। लोभ चाहे पैसे का हो या संसाधनों का यह हमेशा बुरा साबित होता है। लोभ केवल ज्ञान का ही बेहतर माना जाता है। * मोह: यों तो मोह या किसी के प्रति लगाव होना मनुष्य के गुणों में से एक है लेकिन मोह के कारण में कर्म से मुंह फेर लेना अच्छा नहीं होता। * अहंकार: खुद पर घमंड कर हम अपने को दूसरों से ऊंचा समझ बैठते हैं। इस मनोदशा में हम कभी भी असली ऊंचाई का पता ही नहीं लगा पाते। असली ऊंचाई तक जाने के लिए हमें अपने मन से अहंकार को हटाना चाहिए।
सिख धर्म का विश्वास है कि यदि कोई इन पांच दोषों पर काबू पा ले तो वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। गुरु अमर दास, सोरथ में कहते हैं कि - पांच चोर जो हमारे शरीर में रहते हैं वह हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार। यह हमारे अमृत को लूट लेते हैं। अहंकारी लोगों को यह समझ नहीं आता कि वह क्या कर रहे हैं और क्या नहीं।