चार धाम - Char Dham

चार धाम - Char Dham

चार धाम यात्रा को हिंदुओं के सबसे पावन यात्राओं में से एक माना जाता है। इसकी तुलना मुस्लिमों की हज यात्रा से की जाती है। मान्यता है कि एक हिन्दू को जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। यह चार धाम भारत के चार दिशाओं में फैले हैं यानि बद्रीनाथ (उत्तराखंड), रामेश्वरम् (तमिलनाडू), द्वारका (गुजरात) एवं जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा)। यह चार धाम जगत पालक श्री हरि विष्णु से संबंधित हैं।

चार धाम का महत्त्व - Importance of Char Dham

भारत के चार धामों का संबंध भगवान श्री हरि विष्णुजी से हैं। विष्णुजी त्रिदेवों में एक हैं और उन्हें जगतपालक माना जाता है। मान्यता है कि चार धाम की यात्रा से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। यह तीर्थ मनुष्य के सभी पापों की क्षीण कर देते हैं और मनुष्य निष्पाप हो मोक्ष को प्राप्त कर पाता है। चार धाम की यात्रा श्रद्धालुओं के मन में आस्था का अद्भुत संचार करते हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करते हैं। अक्षय तृतीया, माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और अमावस्या आदि पावन दिनों में यहां अत्यधिक भीड़ उमड़ती है। आदि शंकराचार्य ने धार्मिक शिक्षा हेतु चार आश्रम की स्थापना की जिनका मुख्यालय द्वारका (पश्चिम), जगन्नाथ पुरी (पूर्व), श्रृंगेरी शारदा पीठ (दक्षिण) और बद्रीकाश्रम (उत्तर) में स्थित है।

बद्रीनाथ - Badrinath

गंगा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ तीर्थ स्थल हिमालय में है, जो नर और नारायण पर्वत (अलकनंदा नदी के बाएँ तट पर स्थित) के बीच स्थित है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने नर-नारायण के अवतार में इस स्थान पर तपस्या की थी।

इस पुण्यस्थल का नामकरण यहाँ की जंगली बेरी ‘बद्री’ तथा भगवान विष्णु का अलकनंदा नदी (गंगा का स्वरूप) पर निवास के कारण किया गया है। बद्रीनाथ मंदिर में अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक कहे जाने वाली अखंड-ज्योत हमेशा जलती रहती है।

रामेश्वर - Rameshwar

दक्षिण भारत में रामेश्वर को बेहद पवित्र माना जाता है। भगवान शिव जी और श्री राम को समर्पित रामेश्वर मंदिर तमिलनाडु राज्य में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने कराया था। यह वही जगह मानी जाती है जहां श्री राम ने शिवलिंग रूप में भगवान शिव की पूजा की थी। यहां स्थित शिवलिंग, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसी पुण्य स्थल पर भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए पत्थरों का पुल तैयार करवाया था।

द्वारका - Dwarka

कहा जाता है कि समुद्र तट पर स्थित द्वारका को भगवान कृष्ण ने स्वयं बसाया था। महाभारत में भी द्वारका पुरी का वर्णन है। कई लोग मानते हैं कि द्वारका उत्तर प्रदेश में कहीं स्थित है लेकिन इतिहास के अध्ययन से पता चला कि द्वारका समुद्र के तट पर बसी थी। गुजरात के तट पर बसी द्वारका पुरी में लोग श्रीकृष्ण का स्मरण कर आते हैं और भक्ति-रस का आनंद लेते हैं। द्वारका एक धार्मिक स्थल होने के साथ यह एक रहस्यमय स्थल भी माना जाता है जो भगवान कृष्ण की मृत्यु उपरांत समुद्र में समा गया था।

जगन्नाथ मंदिर - Jagannath Temple

भगवान कृष्ण को समर्पित जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा में स्थित हैं। इसका निर्माण कलिंग राजा अनंतवर्मन् चोडगंग देव तथा अनंग भीम देव ने कराया था। यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है। इसमें भगवान कृष्ण, बलभद्र (भगवान कृष्ण के भाई) व सुभद्रा (भगवान कृष्ण की बहन) बिना भुजा के विराजमान हैं।

उड़ीसा का जगन्नाथ मंदिर विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा है लेकिन यहाँ सभी संप्रदाय के श्रद्धालु आते हैं। “रथ यात्रा” के दौरान यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा की सुसज्जित प्रतिमाओं को रथ में स्थापित कर सम्पूर्ण नगर की यात्रा कराई जाती है।

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