उत्तरकाण्ड- Uttarkand

उत्तरकाण्ड- Uttarkand

रामायण का अंतिम भाग यानि उत्तरकाण्ड में एक सौ ग्यारह सर्ग तथा तीन हजार चार सौ बत्तीस श्लोकों की संख्या है। उत्तरकाण्ड में रावण के पितामह, रावण के पराक्रम की चर्चा, सीता का पूर्वजन्म, देवी वेदवती को रावण का श्राप, रावण-बालि का युद्ध, सीता का त्याग, सीता का वाल्मीकि आश्रम में आगमन, लवणासुर वध, अश्वमेध यज्ञ का वर्णन किया गया है। उत्तरकाण्ड में ही शिव-पार्वती के बीच हुए एक सुन्दर संवाद का भी वर्णन है।

उत्तरकाण्ड (Uttarkand)

पठेच्छृणुयाद् वापि काण्डमभ्युदयोत्तरम्।
आनन्दकार्ये यात्रायां स जयी परतोऽत्र वा॥

बृहद्धर्मपुराण के अनुसार उत्तरकाण्ड का पाठ करने से आनंदमय जीवन व सुखद यात्रा के लिए किया जाता है। उत्तरकाण्ड को रामायण का सार भी कहा जा सकता है। इस भाग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के सभी लक्षणों का वर्णन किया गया है।

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