जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्य कुछ समय के लिए चंद्रमा के पीछे छुप जाता है। इसी स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में सूर्य ग्रहण कहते हैं। ग्रहण को हिन्दू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है।
सूर्य ग्रहण (Surya Grahan)
वर्ष 2021 में सूर्य ग्रहण
1. 30 अप्रैल : आंशिक सूर्य ग्रहण
2. 25 अक्टूबर : आंशिक सूर्य ग्रहण
धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण (Surya Grahan Katha)
मत्स्य पुराण में सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण की कथा का संबंध राहु-केतु और उनके अमृत पाने की कथा से है। कथा के अनुसार जब मोहनी रूप धारण कर विष्णु जी देवताओं को अमृत और असुरों को वारुणी (एक प्रकार की शराब) बांट रहे थे तब एक दैत्य स्वरभानु रूप बदलकर देवताओं के बीच जा बैठा। वह सूर्य और चन्द्रमा के बीच बैठा था। जैसे ही वह अमृत पीने लगा सूर्य और चन्द्रमा ने उसे पहचान लिया और विष्णु जी को बता दिया।
विष्णु जी ने तत्काल उस राक्षस का सर धण से अलग कर दिया। राक्षस का सर राहु कहलाया और धण केतू। कहा जाता है कि जैसे राहु का सर अलग हुआ वह चन्द्रमा और सूर्य को लीलने के लिए दौड़ने लगा लेकिन विष्णुजी ने ऐसा नहीं होने दिया। उस दिन से माना जाता है कि जब भी सूर्य और चन्द्रमा निकट आते हैं तब उन्हें ग्रहण लग जाता है।
सूर्य ग्रहण के समय क्या न करें - Rituals During Solar Eclipse
घर में रखे अनाज या खाने को ग्रहण से बचाने के लिए दूर्वा या तुलसी के पत्ते का प्रयोग करना चाहिए।
ग्रहण समाप्त होने के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। इसके साथ ही ब्राह्मण को अनाज या रुपया दान में देना चाहिए।
ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए।
मान्यता है कि गर्भवती स्त्री को ग्रहण नहीं देखना चाहिए।
भगवान शिव को छोड़ अन्य सभी देवताओं के मंदिर ग्रहण काल में बंद कर दिए जाते हैं।