भगवान सूर्यदेव के प्रति भक्तों के अटल आस्था का अनूठा पर्व छठ हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ पूजा या सूर्य षष्टी एक प्राचीन हिंदू पर्व हैं जिसमे पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए सूर्य भगवान को आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य जिसे ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता के रूप में माना जाता है उसकी छठ त्योहार के दौरान भलाई समृद्धि और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की पूजा कुष्ठ रोग सहित विभिन्न प्रकार के बीमारियों का इलाज कर सकती है और परिवार के सदस्यों मित्रों और बुजुर्गों की लंबी उम्र और समृद्धि सुनिश्चित कर सकती है। इस साल छट पूजा 30 अक्टूबर, 2022 को है।
सूर्य षष्टी या छत पूजा अनुष्ठान
इस दिन जल्दी उठे और अपने घर के पास एक झील, तालाब या नदी में स्नान करें।
स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े रह कर सूर्योदय के दौरान सूर्य की पूजा करें।
शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धुप और फूल अर्पण करें।
सात प्रकार के फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करें।
सर झुका कर प्रार्थना करते हुए "ओम गृहिणी सूर्यया नमः" या "ओम सूर्यया नमः" 108 बार बोलें।
आप पूरे दिन भगवान सूर्य के नाम का जप जारी रख सकते हैं।
अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों और गरीब लोगों को भोजन कराएं।
आप पुजारी या गरीब लोगों को कपड़े, भोजन, अनाज आदि का दान भी दे सकते हैं।
छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha in Hindi)
दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जानेवाले इस महाव्रत की सबसे कठिन और साधकों हेतु सबसे महत्त्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्टी की होती है, जिस कारण हिन्दुओं के इस परम पवित्र व्रत का नाम छठ (Chhath Puja) पड़ा। चार दिनों तक मनाया जानेवाला सूर्योपासना का यह अनुपम महापर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित सम्पूर्ण भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम और हर्सोल्लासपूर्वक मनाया जाता है।
यूं तो सद्भावना और उपासना के इस पर्व के सन्दर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं, किन्तु पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा, फलस्वरूप पांडवों को अपना राजपाट मिल गया।
छठ व्रत विधि (Chhath Vrat Vidhi in Hindi)
कथानुसार छठ देवी भगवान सूर्यदेव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी नदी के किनारे इस पूजा को मनाते हैं।
इस पर्व में पहले दिन घर की साफ सफाई और शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है, दूसरे दिन खरना का कार्यक्रम होता है, तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन भक्त उदियमान सूर्य को उषा अर्घ्य देते हैं। मान्यता है कि यदि कोई इस महाव्रत को निष्ठां और विधिपूर्वक संपन्न करता है तो निःसंतानों को संतान की प्राप्ति और प्राणी को सभी प्रकार के दुखों और पापों से मुक्ति मिलती है।
छठ रेसिपी
छठ महापर्व उत्तर भारत विशेषकर यूपी और बिहार का अहम पर्व है। आज यह कहना गलत नहीं होगा कि इस पर्व को भारतवर्ष में समान श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। छठ पर्व की शुरुआत नहाए-खाए से होती है और समापन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर किया जाता है। चार दिनों के इस पर्व में दो चीजें खाने के मामले में सबको आकर्षित करती हैं एक है ठेकुआ और दूसरा रसियाव या रसिया जो गुड़ की खीर होती है। तो आइएं आज बनाना सीखते हैं छठ के इन दोनों विशेष व्यंजनों को।
चावल और गुड़ की खीर या रसियाव रसियाव आमतौर पर चावल की खीर ही होती है बस इसमें फर्क इतना होता है कि इसमें चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है। इसे छठ के दूसरे दिन खाया जाता है। अच्छा एक और बात, पूजा के समय इसे साफ चुल्हें या ईट से बने चुल्हें पर बनाया जाता है लेकिन इसे आप छठ के अलावा कभी बनाना चाहते हैं तो गैस पर भी बना सकते हैं। तो चलिए जानते हैं छठ महापर्व के इस व्यंजन को कैसे बनाते हैं।
सामग्री
दूध: 1 लीटर
चावल: एक पाव
गुड़: एक पाव (बारिक तोड़ा हुआ)
ड्राई फ्रूट्स: सजाने के लिए
बनाने की विधि
सर्वप्रथम सभी वस्तुओं को इकठ्ठा करें। ड्राई फ्रूट्स को छोटे-छोटे टुकडों में काट लीजिएं। याद रखें हर चीज साफ-सुथरी होनी चाहिए। बनाने के दौरान किसी भी वस्तु को जूठा ना करें, यहां तक कि दूध में उबाल आने पर उसे फूंकने के स्थान पर उसमें कुछ बूंदे पानी की डालें। चावल को कम से कम एक घंटा पहले धो कर पानी में भिगो दीजिएं।
सबसे पहले दूध को एक पैन में गर्म कीजिएं। साथ ही एक अलग पैन में दो गिलास पानी डालकर गुड़ को पिघला लीजिएं।
जब दूध में उबाल आ जाए तो इसमें चावल डालकर पकाते रहें। जब खीर में उबाल आ जाए तो गैस को धीमा कर दें। खीर को लगातार चलाते रहे अन्यथा यह तले से जलने लग सकती है।
जब चावल पक जाएं तो गैस धीमी कर दें और इसमें गुड़ की चाशनी मिला दीजिएं। कई लोग खीर बनने के बाद भी गुड़ की चाशनी मिलाते हैं क्योंकि ऐसा करने से दूध के फटने का डर नहीं रहता। अब गैस को बंद कर दीजिएं और ड्राई फ्रूट्स मिला लीजिएं।
ठेकुआ बनाने की विधि
छठ की बात हो और ठेकुआ का जिक्र ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि यह ठेकुआ बेहद आसानी से बनाया जा सकता है। आइए जानें ठेकुआ बनाने की रेसिपी।
ठेकुआ बनाने की रेसिपी
कुल समय 30 मिनटसामग्री आटा: आधा किलोघी: चार चम्मचरिफाइंड ऑयल: फ्राई करने के लिएचीनी: एक पावइलायची पावडर: दो चमच्च नारियल: एक कप (कसा हुआ) बनाने की विधि
सबसे पहले आटे में घी और चीनी डालकर अच्छी तरह से गूंथे। याद रखें आप जितना अच्छा इसे गूंथेगे उतना अच्छा ठेकुआ बनेगा। गूंथते समय ही इसमें नारियल का बूरा डाल लें।
अगर आप आटा गूंथते समय आसानी चाहते हैं तो चीनी को सीधे आटे में डालने के स्थान पर चीनी का घोल बनाकर आटे में डालें। इसे टाइट ही गूंथना है। आटा एकदम सख्त और हल्का सूखा होना चाहिए।
अब हथेलियों में थोड़ा तेल लगाकर गूंथे आटे को एक सांचे की मदद से ठेकुआ की शक्ल में बना लीजिएं। छठ के समय मार्केट में ठेकुआ बनाने के सांचे बहुत आसानी से मिल जाते हैं।एक पैन में तेल गर्म करें। जब तेल अच्छी तरह से गर्म हो जाए तो उसमें ठेकुआ को फ्राई कर लीजिएं। जब यह एक तरफ से हल्का ब्राउन हो जाए तो पलट कर दूसरी तरफ से भी सुनहरा कर लीजिएं। लीजिएं आपका ठेकुआ तैयार है।
आप इन ठेकुओं को ठंडे होने पर किसी एयर टाइट बर्तन में डालकर स्टोर कर सकते हैं। यह कई दिनों तक खराब नहीं होते।